वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कहा है कि वह गोल्ड लोन को लेकर जारी किए गए मसौदा नियमों को अंतिम रूप देते समय यह सुनिश्चित करे कि उनका प्रतिकूल प्रभाव छोटे कर्जदारों पर न पड़े। मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया है कि इन नियमों को 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाना उपयुक्त रहेगा, जिससे फील्ड स्तर पर इन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
यह कदम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे गए पत्र के कुछ दिनों बाद आया है। अपने पत्र में श्री स्टालिन ने RBI द्वारा 9 अप्रैल को जारी मसौदा दिशानिर्देशों को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि छोटे और सीमांत किसानों के पास अक्सर न तो औपचारिक भूमि के दस्तावेज होते हैं, न ही सत्यापन योग्य आय के प्रमाण। ऐसे में उनके लिए सोना गिरवी रखकर ऋण प्राप्त करना ही एक सम्मानजनक और व्यवहार्य विकल्प होता है। उन्होंने चेताया कि प्रस्तावित नियम इस आवश्यक ऋण चैनल को बाधित कर सकते हैं, जिससे जरूरतमंद और वास्तविक उधारकर्ता औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हो सकते हैं।
RBI के मसौदा दिशानिर्देशों में 75% लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात की सीमा प्रस्तावित की गई है, जिसका अर्थ है कि कर्जदार केवल अपने गिरवी रखे गए सोने के मूल्य का 75% तक ही ऋण ले पाएंगे। इसके अतिरिक्त, उधारकर्ता को यह प्रमाणित करना होगा कि गिरवी रखा गया सोना उसका ही है, और एक उधारकर्ता एक ऋणदाता के पास कितनी मात्रा में सोना गिरवी रख सकता है, इसकी भी सीमा तय की गई है।
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच X पर एक पोस्ट में कहा, “@RBI द्वारा जारी किए गए गोल्ड कोलैटरल के बदले ऋण देने के मसौदा निर्देशों की @DFS_India (वित्तीय सेवा विभाग) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मार्गदर्शन में समीक्षा की है।”
मंत्रालय ने आगे कहा, “@DFS_India ने RBI को सुझाव दिए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छोटे गोल्ड लोन उधारकर्ताओं की आवश्यकताओं पर इन मसौदा निर्देशों का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।” साथ ही यह भी प्रस्तावित किया गया है कि ₹2 लाख से कम राशि के गोल्ड लोन को इन दिशानिर्देशों की बाध्यताओं से छूट दी जा सकती है, जिससे इस श्रेणी के ऋणों का त्वरित और सुगम वितरण सुनिश्चित हो सके।
अंत में, वित्त मंत्रालय ने कहा कि उसे यह अपेक्षा है कि विभिन्न हितधारकों द्वारा जताई गई चिंताओं और जनता से प्राप्त फीडबैक पर RBI उचित विचार करेगा, और उसके बाद ही इन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।