वित्त वर्ष 2025-26 में भारत बनी रहेगी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था: आरबीआई

वित्त वर्ष 2025-26 में भारत बनी रहेगी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था: आरबीआई

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गुरुवार, 29 मई 2025 को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत वर्ष 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुकूल मुद्रास्फीति परिदृश्य और संयमित जीडीपी वृद्धि दर मौद्रिक नीति को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।

आरबीआई ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वृहद आर्थिक नींव, सुदृढ़ वित्तीय प्रणाली और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता के चलते वर्ष 2025-26 में भी वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।”

हालांकि, रिपोर्ट में कुछ वैश्विक जोखिमों की भी पहचान की गई है। इनमें भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता, व्यापार विखंडन, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अनिश्चितताएं शामिल हैं। इन कारकों को विकास के दृष्टिकोण के लिए चुनौतीपूर्ण और मुद्रास्फीति के परिदृश्य के लिए संभावित रूप से सहायक बताया गया है।

आरबीआई ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सुधार, कमोडिटी कीमतों में नरमी और सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते कृषि उत्पादन में संभावित वृद्धि मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए अनुकूल रहेगी।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि वैश्विक स्तर पर टैरिफ नीतियों में बदलाव और संरक्षणवादी रुझानों से वित्तीय बाजारों में अस्थिरता आ सकती है और भारत के निर्यात पर दबाव पड़ सकता है। हालांकि, भारत द्वारा हस्ताक्षरित और विचाराधीन व्यापार समझौते इन प्रभावों को सीमित करने में मदद करेंगे। साथ ही सेवा क्षेत्र के निर्यात और विदेशों से आने वाले प्रेषण चालू खाता घाटे को “बेहतर ढंग से प्रबंधनीय” बनाए रखने में सहायक होंगे।

आरबीआई ने यह भी कहा कि पिछले दो मौद्रिक समीक्षाओं में प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती के बाद अब मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य के साथ बेहतर और टिकाऊ संरेखण की दिशा में बढ़ रही है। इससे नीति निर्धारण में अधिक विश्वास कायम हुआ है।

अंत में, रिपोर्ट में बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी भी दी गई है। ब्याज दर जोखिम की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ट्रेडिंग और बैंकिंग दोनों प्रकार के जोखिमों पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की सलाह दी गई है, विशेषकर ऐसे समय में जब शुद्ध ब्याज मार्जिन (Net Interest Margin) में गिरावट देखी जा रही है।

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